श्री नीलकंठ महादेव मंदिर


कहते है, सुनते है, मानते है, खाड़िया का प्रत्यक्ष दर्शन करते है, आभास पोरानिक कथा पर होता है. कपिला गाय द्वारा प्रतिदिन अपने आप दुधाभिषेख कातेर की झाड़ी पर होना. किसी कसारा द्वारा कतर की झड़ी को कूल्हड़ी से काटना व कुल्हाड़ी से लिंग का आधा कटना व खून की धारा बाहना व द्वे ब्राह्मण को स्वप्न मे प्रेरणा व संदेश मिला, अपनी जोव की कोठी के नीचे से अनवरत पेसा निकलना व उससे मंदिर निर्माण करवाना मंदिर की गोराव गाथा है, आगे लोहार को श्राप देना जिससे आगे वंश वृद्धि न होना. व ब्रामाण द्वारा कोठी के उपर देखने पर नाराज़ शिव द्वारा दिकरी से वंशवर्द्धी का आशीर्वाद आज भी प्रत्यक्ष रूप से नज़र आ रहा है.







 यह स्थान लगभग ७०० वर्ष पुराना व महंत शंकारगिरी, भगवान गिरी, सोम्बार ग्रिरी, शिवगिरि, मेघराज पूरी, विष्नुगिरी व वर्तमान मे महन्त श्री लखनगिरिजी की तपोवन भूमि रही है व है. 

माही मोरन नदी के संगम तट पर सुरम्य वनकटी के बीच, जहा वटवृक्ष, पीपल, शम्मीवृष, उमरा, आमकुंज, बिल्व वृक्ष व अन्य अमूल्य वृक्षवाली से आच्छादित यह खांडिया महादेव के नाम से विख्यात इस शेत्र का ईस्टदेव है. 











निर्माणाधिन श्री शिवमंदिर के धन अनुष्ठान मे तन मन से सहयोग प्रदान करे और पुन्य का लाभ प्राप्त करे 

आपका आत्मिया योगदान ही योजना की पूर्णता का आधार है
                                              

सम्पर्क निर्माण समिति 

मो - 9829845801, 9829911436, 9929882477

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